सल्फर का पौधों के विकास में क्या महत्व है?

 नमस्ते किसान भाइयों, 

आज हम बात करेंगे एक  महत्वपूर्ण घटक की। और वह घटक है – सल्फर। 

सल्फर कहने को तो सेकंडरी इंग्रीडिएंट, यानी सहायक घटकों में से एक है। लेकिन यह पौधों को क्लोरोफिल बनाने में मदद करता है। तो जाहिर है कि इसके बिना पौधा हरा भरा नहीं रह सकता। पौधे में अगर सल्फर की मात्रा कम है, तो पत्तों में पीलापन दिखने लगता है। इसी तरह, पौधे की गुणवत्ता बढ़ाने में भी सल्फर मदद करता है। 

हमारे खेत की मृदा परीक्षण की रिपोर्ट में पता चलता है कि आयरन और सल्फर की मात्रा हमारे खेत में सही है, जरूरत से ज्यादा है, या जरूरत से कम है। अगर, खेत में आयरन/सल्फर की मात्रा ज्यादा है, तो उसे ऑर्गेनिक तरीके से इस्तेमाल करके पौधे को दिया जा सकता है। इसके लिए 1 लीटर बायो सल्फर या 1 लीटर थायोबेसिलस का 50 किलो के ऑर्गेनिक मैन्युअर में मिलाकर बुवाई के समय खेत में डालें। यह 1 एकड़ की खुराक है। 


ध्यान रखें किसान भाइयों, दानेदार आकार में ऑर्गेनिक सल्फर मार्केट में इस समय उपलब्ध नहीं है। इसलिए अगर मृदा परीक्षण की रिपोर्ट से आयरन या सल्फर की मात्रा कम है तो 4-5 किलो फेरस सल्फेट (रासायनिक उर्वरक) प्रति एकड़ बुवाई के समय खेत में डालें।

सल्फर आपके पौधे की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद करता है, और मुख्यतः यह तिलहन फसलों जैसे मूंगफली, सोयाबीन या सरसों के दाने में तेल की मात्रा को बढ़ाता है। इसलिए सल्फर आपके पौधे के विकास और फसल की गुणवत्ता बढ़ाने में बहुत उपयोगी है।

 तो दोस्तों, आपको यह हमारा सल्फर पर यह छोटा सा नुस्खा कैसा लगा, यह नीचे कमेंट करके बताइए। और हां, यूनिकिसान ऐप डाउनलोड करना मत भूलिए।


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