बायो ज़ाइम क्या है? उसका क्या महत्व है?

कैसे हो दोस्तों? आज मैं एक ऐसी चीज़ आपके साथ साझा कर रहा हूँ, जो हमारे खेत की उपज बढ़ाने का काम करता है। उसका नाम है बायो ज़ाइम। कुछ किसान इसका इस्तेमाल करते हैं, पर कई किसान अब तक इसके बारे में नहीं जानते।

बायो ज़ाइम में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, फल्विक एसिड, सीवीड्स यानी समुद्री शैवल के कुछ तत्व होते हैं। ये दानेदार और तरल रूप में मिलता है। भाइयों, इसका इस्तेमाल कैसे करना है ये समझ लीजिए, क्योंकि ये फसल के बढ़ने में बहुत ही काम का है।

इसका इस्तेमाल बुवाई के बाद पहली सिंचाई के समय किया जाता है, जब किसान खेत में यूरिया डालते हैं। हमें केवल यूरिया के बजाय 50% यूरिया और बायो ज़ाइम लेना है। इनका मिश्रण पहली सिंचाई के समय खेत में डालने से इसका असर बढ़ जाता है। यूरिया पौधे को नाइट्रोजन देता है जो वैसे ही पौधे को बढ़ने में मदद करता है। बायो ज़ाइम इसे और गति देता है। साथ ही ये मल्टीपल सीडलिंग बनाता है, यानी बीजों के अनेक अंश बनाता है जिससे पैदावार बढ़ती है।

याद रहे कि बायोज़ाइम का इस्तेमाल एक सिंचाई के चक्र में केवल एक बार करना है। और इसका डोज़ रहेगा 4-5 किलो प्रति एकड़। इतना बायो ज़ाइम 50% यूरिया में मिलाकर खेत में डालना है। अब, ये तो हो गया उन किसान भाइयों के लिए जो सेमी-आर्गेनिक फार्मिंग करना चाहते हैं।

और जो 100% आर्गेनिक फार्मिंग करना चाहते हैं, देखते हैं उनके लिए क्या उपाय है।

ऑर्गेनिक मैन्युअर का एक 50 किलो का बोरा लें, और उसमें 4-5 किलो बायो ज़ाइम मिलाकर, वो खेत में पहली सिंचाई के समय – जो 25 से 30 दिन में होता है – छिड़क दें। इसे भी एक ही बार इस्तेमाल करना है।

बायो ज़ाइम तरल रूप में भी उपलब्ध है। लेते हैं, तो एक लीटर बायो ज़ाइम प्रति एकड़ डोज़ 15-20 लीटर पानी में मिलाकर उससे पौधों की ड्रेंचिंग करनी है।

बायो ज़ाइम इस्तेमाल करिए, उसका असर देखिए, अच्छी फसल पाइए, हमें भी बताइए, ताकि बाकी किसान भाइयों को भी प्रेरणा मिलें। आपको अगर ये सारी जानकारी याद न रहे तो आप इस जानकारी को यूनिकिसान एप पर जाकर भी देख सकते हैं।


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