खरपतवार को आर्गेनिक तरीके से कैसे रोकें?

नमस्ते दोस्तों,

आज का हमारा विषय जरा नाज़ुक है। हम बात करेंगे खरपतवार को बिना केमिकल का इस्तेमाल किए कैसे रोका जाए। याने आर्गेनिक तरीके से खरपतवार को कैसे रोका जा सकता है।

ये नाज़ुक इसलिए है कि इसपर बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इसलिए दोस्तों, हमारी टीम ने संशोधन करके, ये कीमती जानकारी हासिल की है, जो हम आप से अब साझा करेंगे। इसीलिए ये जानकारी ऐसे ही किसानों के लिए है जो नई सोच रखते हैं, जो नई टेक्नोलॉजी सीखकर, उसकी मदद से पूरी तरह से बिना केमिकल्स वाली आर्गेनिक फार्मिंग करना चाहते हैं।

पहले समझ लें कि खरपतवार या वीड एक तरह की अनावश्यक घास होती है जो फसल के पौधे के इर्द-गिर्द उग आती है। ये घास पौधे की बढ़त को रोक देती है। और पूरी फसल का लगभग 30% उत्पाद कम कर देती है। भारत में कई प्रदेशों के किसान इस खरपतवार से परेशान हैं। इसीलिए खरपतवार को खत्म करना आपके फसल के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

ज्यादातर किसान फसल को खरपतवार से बचाने के लिए हर्बिसाइड का इस्तेमाल करते हैं, जो एक रसायनिक दवा है। अगर आप भी हर्बिसाइड इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसका इस्तेमाल फ़िलहाल कम से कम रखें। क्योंकि हम आपको इसका आर्गेनिक पर्याय बताने जा रहे हैं, जिससे आपको धीरे-धीरे हर्बिसाइड की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

सबसे पहला आसान तरीका है - आप अपने खेत में ड्रिप इरिगेशन करना शुरू करें। इसमें पानी की जहां आवश्यकता है, यानी जहां पौधा है, वहीं पानी जाता है। जहां पौधा नहीं है, उस जमीन पर पानी नहीं जाता और वहां पर खरपतवार जैसी अनावश्यक घांस उगने की संभावना कम हो जाती है। इससे पानी की भी बचत होती है। जिन किसान भाईयों को संभव है, वे ड्रिप इरिगेशन जरूर करें ताकि खेत में खरपतवार कम हो।


दूसरा तरीका है जिसे कहते हैं, मल्चिंग। इसमें एक प्लास्टिक का कपड़ा मिट्टी पर बिछा दी जाती है, और उसमें एक छेद होता है जहां से पौधे बाहर आ सकता है, ताकि धूप या पानी जब भी मिलेंगे, उस छेद की वजह से केवल पौधे को और उसके जड़ को मिलेंगे; उसके आस पास की खाली जमीन को नहीं मिलेंगे, जिससे खरपतवार नहीं उगेंगे। ये बहुत ही आसान और प्रभावी तरीका है जिसमें मजदूरी का खर्चा भी कम हो जाता है। भारत के कुछ ही किसान मल्चिंग का प्रयोग कर रहे हैं, और सफल भी हैं। बाकी किसान हर्बिसाइड का इस्तेमाल करते हैं।

बाजार में ये प्लास्टिक मल्च-शीट मिलती है जो पूरे खेत में बिछा दी जाती है। उसमें जहां जहां छेद हैं, वहां पर बुवाई होती है, और उन छेदों से पौधे बड़े होते हैं। मल्चिंग लगाने का खर्च 3,000-5,000 रुपये प्रति एकड़ आ सकता है।


आप मल्चिंग और ड्रिप इरिगेशन एक साथ भी कर सकते हैं। ये भी बड़ा प्रभावी रहेगा। आप अगर चाहें तो ये प्रयोग भी कर सकते हैं।

अगला जो विकल्प है, वो है पराली, जो धान और अन्य फसलों की खेती के बाद बचा हुआ अवशेष होता है। इसे ज्यादातर किसान जला देते हैं। इसे जलाने की बजाय, अगर पौधों के आस पास की मिट्टी पर पराली का अवरण डाल दिया जाए तो खरपतवार को उगने के लिए जगह ही नहीं रहेगी और आप खरपतवार को रोक सकेंगे। इस तरह से पराली का सही इस्तेमाल हो सकता है और इसके इस्तेमाल से कोई अलग खर्च भी नहीं होता।

एक और इलाज है खरपतवार का, वो है वीड-कटर मशीन, जो बाजार में ~ 10,000 रुपये में मिल जाता है। इसे ऑनलाइन भी मंगाया जा सकता है। इससे आप समय-समय पर खरपतवार यानी वीड को काटते रहें तो पौधे सुरक्षित और तंदुरुस्त रहेंगे, और अच्छी फसल होगी।

जो भी किसान भाई अपने खेत में हर्बिसाइड केमिकल का इस्तेमाल नहीं करना चाहते उनको इन तरीकों से जरूर फ़ायदा होगा।

तो दोस्तों, हम से जुड़े रहिए, क्योंकि ऐसे कई नुस्खे हम आपके साथ साझा करते रहेंगे। साथ ही साथ "यूनिकिसान ऐप" भी डाउनलोड करें, ताकि आप कहीं भी हो, आपको ये जानकारी मिलती रहे।


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