निमातोड़ पर नियंत्रण कैसे पाएं?

 कैसे हो मेरे किसान भाइयों?

हम आज बात करेंगे निमातोड के बारे में, एक ऐसा रोग जो पौधे की जड़ को कमजोर कर देता है। एक विशिष्ट प्रकार की इल्ली होती है, जो मिट्टी में बीमारी फैलाती है, और जब ऐसी मिट्टी में बुवाई की जाती है, तो यही बीमारी पौधों की जड़ों को भी लग जाती है; और जड़ों पर छोटी-छोटी गांठें दिखाई देती हैं। इन गाँठों को निमातोड कहते हैं। ये बीमारी लग जाने से पौधे का विकास नहीं हो पाता। पौधा पीला पड़ जाता है, और इस तरह से पूरी फसल खराब हो जाती है।

निमातोड की समस्या सारे प्रदेशों में नहीं दिखती। पर भारत के कई इलाकों में निमातोड से किसान परेशान हैं।

भाइयों, इस निमातोड पर हल तो हम बताएंगे। लेकिन सोचिए अगर निमातोड हमारे खेत में होने ही ना दिया जाए तो? तो पहले हम देखते हैं कि निमातोड होने से कैसे रोका जाए, वो भी पूरी आर्गेनिक तरीके से, कोई भी केमिकल या केमिकल पेस्टिसाइड इस्तेमाल किए बिना।

तो दोस्तों, बाजार में एक दवा मिलती है - पेसिलोमाइसीज़ लिलासिनस (Paecilomyces Lilacinus)। ये एक तरह का ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड है जो एक लीटर की बोतल में मिलती है। इसका इस्तेमाल काफी फायदेमंद साबित हुआ है।

अब, एक लीटर पेसिलोमाइसीज़ लाइलैसिनस ऑर्गेनिक मैन्युअर में मिलाकर हमे बुवाई के समय खेत में डालना है। आगे, पौधे थोड़े बढ़ने के बाद, पहली सिंचाई के समय पेसिलोमाइसीज़ लिलासिनस से फसल की जड़ों में ड्रेंचिंग करनी है। ये अगर हम सही तरीके से करते हैं, तो ऑर्गेनिक तरीके से हम निमातोड की बीमारी पौधों को लगने से रोक सकते हैं।

दोस्तों, इस तरह से हम पेसिलोमाइसीज़ लिलासिनस इस ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड के सही इस्तेमाल से पौधों से निमातोड को दूर रख सकते हैं। इससे पौधे स्वस्थ और सशक्त होंगे।

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